भारतीय शेयर बाजार के निराश निवेशकों ने 2025 को कहा अलविदा! क्या 2026 में  बदलेगी तस्वीर?
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भारतीय शेयर बाजार के निराश निवेशकों ने 2025 को कहा अलविदा! क्या 2026 में बदलेगी तस्वीर?

निफ्टी ने रुपये टर्म्स में 10 फीसदी और सेंसेक्स ने 9 फीसदी के करीब रिटर्न दिया हो. लेकिन डॉलर टर्म्स में देखें तो सेंसेक्स-निफ्टी ने केवल 4-5 फीसदी का मामूली रिटर्न दिया है. रुपये की कमजोरी ने विदेशी निवेशकों का पूरा फायदा खत्म कर दिया.


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साल 2025 ने भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों के लिए बेहद निराशाजनक रहा है. भले ही देश के दोनों ही प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई के करीब कारोबार कर रहा हो. निफ्टी ने रुपये टर्म्स में 10 फीसदी और सेंसेक्स ने 9 फीसदी के करीब रिटर्न दिया हो. लेकिन डॉलर टर्म्स में देखें तो सेंसेक्स-निफ्टी ने केवल 4-5 फीसदी का मामूली रिटर्न दिया है. रुपये की कमजोरी ने विदेशी निवेशकों का पूरा फायदा खत्म कर दिया. इसका नतीजा यह रहा कि 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 18 अरब डॉलर की निकासी की, जो किसी भी कैलेंडर वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी बिकवाली है. इसके चलते भारत का शेयर बाजार सबसे निराश करने वाला बाजार 2025 में साबित हुआ है. जबकि दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखने को मिली है.

दुनिया के बाजारों में जबरदस्त तेजी

भारत के उलट, वैश्विक शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. दक्षिण कोरिया का KOSPI करीब 81% चढ़ा है. ब्राजील के Bovespa में 48% की तेजी रही. जर्मनी का DAX 38% चढ़ गया. यूरोप का Stoxx Europe 600 करीब 32% का छलांग लगा दिया. यहां तक कि अमेरिकी S&P 500 ने 17.4% और Nasdaq ने 21.6% का रिटर्न दिया है. एक समय इमर्जिंग मार्केट्स का सितारा रहा भारत रिटर्न के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुआ है.

क्यों पिछड़ गया भारतीय शेयर बाजार?

जानकारों के मुताबिक इसकी वजह घरेलू और वैश्विक दोनों रहे. चीन और दक्षिण कोरिया के शेयरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर सेक्टर को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला है. जबकि भारत में ऐसा कोई मजबूत AI-थीम वाला सेक्टर नहीं उभर पाया.

विदेशी निवेशक क्यों दूर हुए?

जानकारों के मुताबिक के मुताबिक, भारत में विदेशी निवेश का सीधा संबंध नॉमिनल GDP ग्रोथ से है, जिसकी रफ्तार 2024 के बाद धीमी पड़ी हुई है. अगस्त 2024 से ही विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स लगातार बिकवाली कर रहे हैं.

इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने भी नुकसान पहुंचाया है. अनुमान है कि अमेरिकी टैरिफ के चलते भारत पर प्रभावी टैरिफ दर बढ़कर करीब 33% हो गई, जिससे निवेशकों में भारत को लेकर धारणा कमजोर पड़ी है.

क्या 2026 में होगी वापसी?

बाजार के जानकारों का मानना है कि 2025 के मुकाबले 2026 भारतीय बाजारों के लिए और निवेशकों के लिए बेहतर साबित हो सकता है. FY27 में नॉमिनल GDP ग्रोथ 10% तक पहुंचने का अनुमान है. टैक्स में राहत, GST कटौती और सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी से खपत बढ़ने के आसार हैं. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से डॉलर दबाव में रह सकता है. RBI के पास भी अभी भी FY26 में 50 बेसिस पॉइंट तक ब्याज दर घटाने की गुंजाइश बन हुई है.

कमाई में दिखने लगे सुधार के संकेत

2025 में कॉरपोरेट्स की कमाई गायब थी, लेकिन कॉरपोरेट अर्निंग्स, में सुधार दिखने लगा है. चालू तिमाही में मुनाफे में 12.5% बढ़ोतरी का अनुमान है जो छह तिमाहियों में पहली बार डबल-डिजिट ग्रोथ होगी. Nomura का कहना है कि, 2026 के अंत तक निफ्टी 29,300 के लेवल तक जा सकता है. यानी करीब 12% रिटर्न की संभावना है. 2026 में शेयर बाजार का प्रदर्शन कंपनियों के कमाई पर निर्भर करेगा. अगर कॉरपोरेट जगत का मुनाफा बढ़ा और रुपये में मजबूती आती है, तो विदेशी निवेशक दोबारा लौट सकते हैं. 2025 ने भारतीय शेयर बाजार ने जरूर निराश किया है लेकिन 2026 में बाजार नया हाई देख सकता है और निवेशकों को मोटी कमाई भी करा सकता है.

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