
महंगाई कम, टैक्स छूट, GST कट… फिर भी क्यों गिर रही है ग्रोथ, RBI ने दी चेतावनी?
भले ही FY26 की पहली छमाही में मजबूत वृद्धि दिखी, लेकिन घरेलू संकेतक और विभिन्न आर्थिक असंगतियों के कारण आरबीआई ने चेतावनी दी है कि दूसरी छमाही और अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है।
वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की पहली छमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 8% की अपेक्षा से बेहतर वृद्धि दर्ज की। इस दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता और 22 सितंबर को लागू हुई GST कटौती ने महंगाई को कम किया। कृषि क्षेत्र में भी खरीफ फसल की अच्छी पैदावार और रबी की बेहतर बुवाई ने सकारात्मक संकेत दिए। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चेतावनी दी है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (H2) और अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में वृद्धि की गति धीमी हो सकती है।
आरबीआई के संकेत
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसका जिक्र 3-5 दिसंबर 2025 को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में किया। बैठक के मिनट्स 19 दिसंबर को जारी किए गए। उन्होंने कहा कि हालांकि घरेलू आर्थिक गतिविधियां तीसरी तिमाही (Q3) में मजबूत बनी हुई हैं, कुछ अग्रणी संकेतकों में कमजोरी H2 में H1 के मुकाबले वृद्धि की गति धीमी होने का संकेत देती है। आरबीआई के नवीनतम बुलेटिन (22 दिसंबर) में भी इसी धीमापन का संकेत दिया गया है। गवर्नर ने FY27 की पहली छमाही में भी वृद्धि के “मॉडरेट” होने की संभावना जताई। आरबीआई के अनुमान के अनुसार, FY26 की H2 में वृद्धि 6.6% होगी, जिससे पूरे वित्त वर्ष की वृद्धि 7.3% तक सीमित हो जाएगी। वहीं, FY27 की H1 में यह 6.7-6.8% रहने की संभावना है।
वृद्धि धीमी क्यों?
आरबीआई के मुताबिक, इस धीमापन के लिए कोई बाहरी कारण नहीं है। घरेलू संकेतक मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:-
1. उद्योग क्षेत्र में धीमापन: पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग नवंबर 2025 में नौ महीने के न्यूनतम 56.6 तक गिर गया। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) अक्टूबर 2025 में 0.4% पर सीमित रहा, जबकि सितंबर में यह 4.6% था।
2. निर्माण गतिविधियां: इस्पात खपत और सीमेंट उत्पादन क्रमशः 2.4% और 5.3% की मामूली वृद्धि दर्ज की। बिजली की मांग अप्रैल-नवंबर अवधि में -0.2% रही।
3. सेवा क्षेत्र में धीमापन: इनपुट और बिक्री कीमतों में कमी और कंपनियों की नई परियोजनाओं की तलाश ने सेवा क्षेत्र की वृद्धि को धीमा किया।
4. ग्रामीण मांग कमजोर: त्योहारी सीजन के बाद रिटेल ऑटोमोबाइल बिक्री में तेज गिरावट देखी गई।
5. निर्यात में कमी: अक्टूबर में वस्तु निर्यात घटा, जबकि सेवा निर्यात भी नरम रहा। अप्रैल-नवंबर 2025 में व्यापार घाटा बढ़कर -$89 बिलियन हुआ।
6. राज्य GST में वृद्धि धीमी
7. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में धीमापन: अप्रैल-ऑक्टूबर 2025-26 में प्रत्यक्ष कर की वृद्धि 6% और अप्रत्यक्ष कर की वृद्धि 1.5% रही।
बिजली के बिना उद्योग उत्पादन?
हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2025 में IIP वृद्धि 6.7% तक पहुंच गई, जबकि अप्रैल-नवंबर अवधि की औसत वृद्धि 3.3% रही। आश्चर्यजनक रूप से बिजली उत्पादन घटकर -1.5% रहा। सवाल उठता है कि क्या भारत बिजली के बिना उद्योग उत्पादन बढ़ा रहा है?
असंगत GDP आंकड़े
FY26 की पहली और दूसरी तिमाही में वास्तविक GDP वृद्धि क्रमशः 7.8% और 8.2% रही, लेकिन इसकी मुख्य घटक जैसे खपत (PFCE), सरकारी खर्च (GFCE), सकल पूंजी निर्माण (GFCF) और निर्यात का योगदान बहुत कम रहा। इस असंगति का कारण उत्पादन आंकड़ों और खर्च आंकड़ों में बड़ा अंतर है। Q1 और Q2 में यह अंतर क्रमशः 2.3% और 3.3% था।
अन्य समस्याएं
1. आपूर्ति में गिरावट: निजी क्षेत्र ने Q1 और Q2 में बड़े प्रोजेक्ट्स वापस लिए, कुल Rs 14.3 लाख करोड़ का निवेश रद्द हुआ।
2. विदेशी निवेश में कमी: US टैरिफ अनिश्चितताओं के कारण Q1 में Rs 2 लाख करोड़ के विदेशी प्रोजेक्ट्स रद्द।
3. मुद्रास्फीति में गिरावट: अप्रैल-नवंबर अवधि में औसत CPI 1.8% रहा, जो MPC के न्यूनतम 2% से कम है।
इन सभी कारकों से स्पष्ट है कि आर्थिक वृद्धि का वास्तविक आंकड़ा अधिक दिखाया जा रहा है।

