
ऑपरेशन सिंदूर पर श्रेय की होड़, ट्रंप के बाद चीन ने भी ठोक दी मध्यस्थता की ताल
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में डोनाल्ड ट्रंप ने एक नहीं कई दफा कहा है कि उन्होंने मध्यस्थता कराई है। अब कुछ वैसा ही दावा चीन की तरफ से भी किया गया है।
China Mediation in Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)अक्सर कहते हैं कि उन्होंने मध्यस्थता की थी। एक नहीं कई बार वो मध्यस्थता का राग अलापते रहते हैं। हाल ही में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahoo) से बातचीत में कहा कि भारत उन्हें क्रेडिट नहीं देता। इन सबके बीच इस मध्यस्थता के खेल में चीनी राग भी सामने आया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने बीजिंग में अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों और चीन के विदेश संबंधों पर आयोजित सिम्पोज़ियम में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव उन हॉटस्पॉट मुद्दों में शामिल था, जिनमें इस वर्ष चीन ने मध्यस्थता की।
वांग ने कहा कि "दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इस साल लोकल युद्ध और सीमा पार संघर्ष सबसे अधिक हुए। भू-राजनीतिक अस्थिरता लगातार फैल रही है। ऐसे माहौल में स्थायी शांति बनाने के लिए हमने निष्पक्ष और सही रुख अपनाया। उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान-भारत तनाव, फिलिस्तीन-इजराइल और कंबोडिया-थाईलैंड के बीच हालिया संघर्षों में मध्यस्थता की है।
ऑपरेशन सिंदूर और भारत का रुख
यह टिप्पणी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और मई में भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के महीनों बाद आई। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और उसके नियंत्रण वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और कई एयर बेस को मार गिराया।
हालांकि, भारत ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को हमेशा खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने 13 मई को स्पष्ट किया कि चार दिन का टकराव सीधे मिलिट्री-टू-मिलिट्री बातचीत के जरिए सुलझाया गया और इसमें किसी बाहरी शक्ति की भूमिका नहीं थी। भारत का यह रुख दशकों से बना हुआ है और किसी भी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता।
चीन की भूमिका: हथियार और रणनीति
चीन द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में मध्यस्थता का दावा किया गया, लेकिन वास्तविकता अलग रही। इस संघर्ष में पाकिस्तान ने भारी मात्रा में चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया। चीन पाकिस्तान को मिलिट्री इक्विपमेंट का सबसे बड़ा सप्लायर है, जो उनके कुल हथियारों का 81% प्रदान करता है।
अमेरिका की यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार था जब चीन के HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल और J-10 फाइटर जेट का वास्तविक युद्ध में इस्तेमाल हुआ। इसके साथ ही चीन ने पाकिस्तान को लाइव इनपुट भी प्रदान किए।
भारतीय वायुसेना ने PL-15 मिसाइल को मार गिराया, जो भारतीय सीमा के भीतर कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाई। भारतीय मिलिट्री अधिकारियों का कहना है कि चीन ने इस संघर्ष को अपने रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए "लाइव लैब" की तरह इस्तेमाल किया। डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने भी चीन के व्यापक समर्थन की पुष्टि की।
चीन का मध्यस्थता दावा बनाम वास्तविकता
चीन द्वारा किए गए मध्यस्थता के दावे और ऑपरेशन सिंदूर में उसकी भूमिका में स्पष्ट विरोधाभास है। जबकि चीन ने शांति की बात कही, वहीं उसने पाकिस्तान को आधुनिक हथियार और रणनीतिक इनपुट दिए।
भारत का रुख
भारत ने बार-बार तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया और सीजफायर को सीधे मिलिट्री संवाद के जरिए सुलझाया।
भू-राजनीतिक निहितार्थ
चीन का दखल और पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति दक्षिण एशियाई सुरक्षा समीकरण में अस्थिरता बढ़ा सकती है। यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी नई चुनौतियां खड़ी करती है।
तकनीकी पहलू
PL-15 मिसाइल और HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे आधुनिक हथियारों का वास्तविक संघर्ष में परीक्षण, चीन की सैन्य रणनीति और तकनीकी क्षमता का संकेत है।
इस तरह चीन के मध्यस्थता दावे और वास्तविक हथियार समर्थन के बीच असंगति ने भारत-पाकिस्तान टकराव की स्थिति को और जटिल बना दिया है। यह स्पष्ट करता है कि दक्षिण एशियाई सुरक्षा पर चीन की भूमिका केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि सैन्य रणनीतिक स्तर पर भी प्रभाव डाल रही है।

